Friday, January 27, 2012

नेपाल में विश्व हिन्दी दिवस

चौदह जनवरी २०१२ को बीरगंज (नेपाल) के वाणिज्य संघ सभागार में नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद्, वीरगंज ने विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर बाल हिन्दी कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया। एक समारोह के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नेपाली काँग्रेस के सभासद श्री ओमप्रकाश शर्मा थें। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद् के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिकरिया ने तथा कार्यक्रम का संचालन कुमार सचिदानंद सिंह ने किया। त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल में के.सी.टी.सी. महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डाँ.हरीन्द्र हिमकर, कवि गोपाल अश्क एवं ठा.रा.ब. क्याम्पस की हिन्दी विभाग की उप-प्राध्यापक डा .गीता कुमारी थीं। बच्चों में हिन्दी लेखन के प्रति प्रोत्साहन जागृत करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने एक स्वर से हिन्दी के अन्तराष्ट्रीय स्वरूप विकसित होने की बात स्वीकार की और यह भी कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति की भाषा है। राजनैतिक रूप से इसे विवादों में नहीं घसीटा जाना चाहिए। इस प्रतियोगिता में बीस विद्यालयों के पच्चीस छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया जिसमें 'चिड़ीया', 'सवेरा' और 'पहाड़' शीर्षक निर्धारित किए गए थें। डी.ए.वी.आर.वी. केडिया स्कूल वीरगंज की दसवीं कक्षा की छात्रा सुकृति सिंह ने 'चिड़ीया' शीर्षक कविता के आधार पर प्रथम, पशुपति शिक्षा मन्दिर की छात्रा निकिता ने द्वितीय और त्रिभुवन-हनुमान माध्यमिक विद्यालय के छात्र कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन दों की कविता का शीर्षक 'सवेरा' था। इनके अतिरिक्त विश्व हिन्दी संस्कृति विद्यापीठ की नीलम कुमारी गुप्ता, पशुपति शिक्षा मन्दिर की दिव्या अग्रवाल और त्रिभुवन हनुमान माध्यमिक विद्यालय की सीमा कर्ण नें सान्त्वना पुरस्कार प्राप्त किए। इसके साथ ही स्थानीय डी.ए.वी.के छात्र सुधांशु शेखर एवं सेंटजेवियर के छात्र सुधांशु सौरभ ने स्तरीय कविता वाचन किया जिसकी प्रशंसा निणायक मंडल ने भी की लेकिन परिषद् परिवार से जुड़े होने के कारण इनकी रचनाएँ प्रतियोगिता में शामिल नहीं थी। कार्यक्रम में नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद के संस्थापक दीप नारायण मिश्र, भारतीय महावाणिज्य दूतावास के पी.डी. देशपांडे, पी. शशी, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र प्रसाद चौधरी, सद्भावना पार्टी के निजामुद्दीन समानी, समाजसेवी विनय यादव, मारिसस से आए आचार्य उमानाथ शास्त्री भी उपस्थित थें|