१७ मई २०११ को स्थानीय उद्योग वाणिज्य संघ के सभागार में नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद् ने महात्मा बुद्ध की २५५५ वीं वर्षाँठ भव्यता से मनायी । इस अवसर पर परिषद् ने एक विचार गोष्ठी सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया । इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि स्थानीय वरिष्ठ उद्योगपति, समाजसेवी एवं हिन्दी अनुरागी श्री जगदीश अग्रवाल थे जबकि अध्यक्षता परिषद् के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिकारिया ने की । कार्यक्रम में अन्य उपस्थित अतिथि वीरगंज बौद्ध समाज के वीरहर्षशाक्य, ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवा-केन्द्र की प्रमुख रबीना दीदी, वयोवृद्ध साहित्यकार पं. दीपनारायण मिश्र, प्राध्यापक डा. विश्वम्भर कुमार शर्मा आदि थे। धर्म, अध्यात्म एवं ज्ञान के क्षेत्र से जुड़े इन लोगों ने अपने बहुमूल्य विचार अभिव्यक्त किए तथा मौजूदा समय में बुद्ध की सत्य-अहिंसा के सिद्धान्त की प्रासंगिकता बतलायी । यस अवसर पर श्री अग्रवाल ने अपने मंतव्य में कहा कि बुद्ध के चिंतन में उच्च कोटि का प्रबन्धन दृष्टिगत होता है । श्री सिकरिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बुद्ध के जीवन और चिन्तन पर प्रकाश डाला और कहा कि लौकिक विषयों पर लिखना सरल है लेकिन परमार्थ एवम गुढ विषयों पर अभिव्यक्ति कठिन है, लेकिन बौद्ध दर्शन में हिन्दी साहित्य अत्यंत समृद्ध है.।
इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में र्सवश्री लाला माधवेन्द्र, मुकुन्द आचार्य, जवाहर रौनियार, सतीशचन्द्र झा सजल, इन्द्र रंजित तनाका, देवनारायण यादव आदि कवियों ने काव्य पाठ किया । कार्यक्रम का संचालन कुमार सच्चिदानन्द ने किया । इस कार्यक्रम के माध्यम से परिषद् ने हिन्दी के प्रति आम लोगों की सोयी संवेदना को जगाने का प्रयास किया ।
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