Tuesday, August 28, 2018

वीरगंज में तुलसी–जयंती

दिनांक १७ अगस्त २०१८ को ‘नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद्’ के तत्वावधान में संत और महाकवि ‘तुलसी–जयंती’ मनायी गई । इस अवसर पर नेपाल के बहुभाषिक साहित्यकार गोपाल अश्क की कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक ‘बहुभाषिक साहित्यकार गोपाल अश्क: यात्रा र आयाम’  का लोकार्पण किया गया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षतता नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिकरिया ने की जबकि मुख्य अतिथि के आसन को भारतीय महावाण्ज्यि दूतावास, वीरगंज के उप–महावाण्ज्यिदूत श्री रमेश चतुर्वेदी ने सुशोभित किया । विशिष्ट अतिथि के रूप में शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी तथा नेपाली साहित्य के आख्यानकार श्री गणेश प्रसाद लाठ मंच पर उपस्थित थे । विशिष्ट आमंत्रित के रूप में के.सी.टी.सी. महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कवि प्रो. डॉ. हरीन्द्र हिमकर, मानस कथावाचक श्री विक्रम साह, प्रतिष्ठित व्यवसायी तथा समाजसेवी श्री जगदीश अग्रवाल, नेपाली काँग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मंत्री एवं सांसद श्री सुरेन्द्र चौधरी, सामाजिक कार्यकतृ, शिक्षाविद श्रीमती डॉ. सुषमा तिवारी तथा कवि एवं आख्यानकार गोपाल अश्क मंच पर आसीन थे । कार्यक्रम का उद्घाटन मंचासीन अतिथियों ने महाकवि तुलसी के चित्र पर पुष्प अर्पण तथा दीप प्रज्ज्वलित कर किया तथा इसी के अनन्तर श्री 3 चन्द्र मुनि वेद–वेदांग संस्कृत विद्यालय के बटुकों ने तुलसी रचित ‘श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भव भय दारणम्...’ का सस्वर वाचन किया । इस अवसर पर रक्सौल से पधारे श्री ब्रजभूषण जी ने तुलसी की रचनाओं का गायन कर, आदापुर से पधारे सेवानिवृत शिक्षक ने बाँसुरी पर तुलसी की रचनाओं का वादन कर तथा कवि रामपुकार सिंह जाहिल तथा मोतीउर्र रहमान ने तुलसी के जीवन पर आधारित मौलिक रचनाओं का गायन कर कार्यक्रम को सांगीतिक तथा आध्यात्मिक स्वरों से भर दिया । नेपाल में हिन्दी के प्रयोग के प्रोत्साहन के लिए स्कूली छात्र–छात्राओं को भी कविता–वाचन के लिए आमंत्रित किया गया था जिनमें स्वप्निल सिंह, अंजलि सिंह, श्रेया सिंह, रिद्धि राजगढ़िया आदि छात्र–छात्राओं ने प्रभावोत्पादक शैली में तुलसी के जीवन पर आधारित मौलिक रचनाओं का वाचन किया । कविता पाठ के इसी सत्र में स्तम्भ–लेखिका एवं पत्रकार बिम्मी शर्मा तथा छंद में लिख रहीं अनिता साह ने अपनी–अपनी रचनाओं का वाचन एवं गायन किया । इस सत्र का संचालन सुकंठ कवि सतीचन्द्र झा सजल ने किया । इस कार्यक्रम में लोकार्पित पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. विश्वम्भर शर्मा ने गोपाल अश्क के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी लेखकीय क्षमता और गुणवत्ता पर तो प्रकाश डाला ही साथ ही यह भी रेखांकित किया कि वीरगंज की धरती से ऊपर उठने वाले साहित्यकारों में डॉ. ध्रुवचन्द्र गौतम के बाद गोपाल अश्क सबसे बड़ा नाम हैं । इस अवसर पर बोलते हुए श्री विक्रम शाह ने तुलसी साहित्य तथा रामचरितमानस से सम्बन्धित अनेक ऐसी सूचनापरक जानकारियाँ दी जिसे सुनकर श्रोतागण चकित और मुग्ध हो गए । इस अवसर पर बोलते हुए उपमहावाणिज्यदूत श्री चतुर्वेदी ने तुलसीदास के व्यक्तित्व उवं कृतित्व पर प्रकाश डाला । इस अवसर पर तुलसी साहित्य पर आधिकारिक वक्तव्य देते हुए प्रो. हिमकर ने तुलसी साहित्य की युगीन सान्दर्भिकता पर प्रकाश डाला । इस कार्यक्रम में बोलते हुए समाजसेवी श्री अग्रवाल ने इस बात के प्रति चिन्ता जतलायी कि मौजूदा समय में हम इन मनीषियों को भूलते जा रहे हैं जो हमें अपसंस्कृति की ओर ले जा रहा है । अगर हम समय रहते नहीं चेते तो बाद की पीढि़यों के लिए अपनी परम्पराओं को समझना भी मुश्किल हो जाएगी । इस अवसर पर अपना मंतव्य व्यक्त करते हुए पूर्व मंत्री श्री चौधरी ने तुलसी के साहित्य को उस चिंतन परंपरा का अंश बताया जिससे मध्यकाल में न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व प्रभावित हुआ था । इसलिए इसके मूल्यों की शाश्वतता की ओर भी उन्होंने संकेत किया । कुल मिलाकर यह एक सफल आयोजन था जिसका संचालन कुमार सच्चिदानन्द सिंह ने किया ।

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