Tuesday, July 22, 2008

वीरगंज में हास्य-कवि सम्मेलन

बीरगंज (नेपाल) १५ मार्च । नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद्, वीरगंज होली के अवसर पर एक हास्य कवि सम्मेलन का भव्य एवं सफल आयोजन १६ मार्च को वीरगंज उद्योग बाणिज्य संघ के सभाकक्ष में किया । इस कार्यक्रम का सभापतित्व परिषद् के अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिकारिया ने किया जबकि मुख्य अतिथि त्रिभुवन विश्वविद्यालय केन्द्रीय हिन्दी विभाग के भूतपुर्व अध्यक्ष एवं रचनाकार डा. सुर्ययदेव सिंह प्रभाकर थे । श्री प्रभाकर उम्र के ऐसे पडाव पर है जहां शरीर के अंगो पर व्यक्ति का पुरा नियन्त्रण नहीं रह पाता, इसके बावजूद उन्होने न केवल अपनी उपस्थिती दी बल्कि आद्योपान्त कार्यक्रम का आनन्द भी लिया और उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित भी किया ।

इस हास्य कवि सम्मेलन के उद्घाटन एवं समापन सत्र का संचालन परिषद् के सचिव एवं युवा गीतकार सतीशचन्द्र झा "सजल" ने किया जबकि कविता वाचन सत्र का संचालन प्रख्यात लटपट ब्रजेश ने किया । कार्यक्रम का प्रारम्भ गोरख मस्ताना के हिन्दी और भोजपुरी मुक्तकों से हुआ । उन्होंने महान व्यक्तित्वों के विस्मरण एवं उपेक्षा पर व्यंग्य किया और अपनी व्यंगयोंक्तियों से श्रोताओं का भरपुर मनोरंजन किया । जगलकार जय प्रकाश पुष्प ने नेपाल की वर्तमान अवस्था को महाराष्ट्र के प्रसंग से जोडते हुए सीमांचल के राजनैतिक यथार्थ का चित्रण किया । इन्द्रदेव कुंवर ने बृद्ध माता पिता की बर्तमान परिवार में विवशतापुर्ण अवस्था की झलक प्रस्तुत की और रहम को बुढापे की विवशता के रुप में चित्रित कर श्रोताओं को प्रभावित किया । प्रसाद रत्नेश्वर ने एक ओर अपनी छोटी-छोटी व्यंगोक्तियों से लोगों को गुदगुदाया । खादी ग्रामोद्योग पर गम्भीरता पुर्वक टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि खादी वस्त्र नहीं एक विचार है, इसलिए यस उद्योग बिमार है ।

उनके अतिरिक्त इस कार्यक्रम में संतोष दिवाकर, सुधीर झा, ललन प्रसाद नलिन, धर्मेन्द्र भट्टर्राई, गोपाल अश्क, पूनम झा, रामस्वार्थ ठाकुर, धनुषधारी कुशवाहा ने अपनी हास्यपरक कविताओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया । स्थानीय कवि लाला माधवेन्द्र ने अपनी हास्यपरक कविता "मछली रानी" की अभिनयात्मक प्रस्तुति से लोगों को मंत्र-मुग्ध कर दिया ।

इस कार्यक्रम का र्सवाधिक आकर्षा "हिन्द युग्म डाट कम" (इन्टरनेट मैगजिन) दिल्ली से पधारे युवा व्यंग्यकार भूपेन्द्र राघव और हिन्दी के चर्चित गीतकार, व्यंग्यकार और राष्ट्रीय मंच संचालक डा". कृष्णावतार राही थे । श्री राघव ने अपने छोटे-छोटे व्यंग्यात्मक मुक्तकों से श्रोताओं को प्रभावित किया और डा". राही ने लगभग एक घंटे तक पूरे सभाकक्ष को हास्य की फुहार में भीगकर खुद ही खोने के लिए विवश कर दिया । उनके व्यंग्य का बिषय राजनीति के साथ-साथ आधूनिक युग की महिलाएं बनी और बिशेषता यह कि कार्यक्रम में सहभागी दोनों ही वर्ग के लोग तालियां पीटते देखे गए । इस कार्यक्रम का संयोजन कुमार सच्चिदानंद ने किया ।

यस कवि सम्मेलन अनेक अर्थो में खास था क्योंकि इसके लिए श्रोत और संसाधन जुटाने का कार्य परिषद् ने अपने बलबूते पर किया और सीमित स्रोत तथा संसाधन के बावजुद स्थानीय रचनाकारों के साथ-साथ दूर-दराज के रचनाकारों भी इसमें सहभागिता करायी गयी । इस कार्यक्रम में श्रोताओं की व्यापक सहभागिता थी और लगभग पाँच घंटे तक उन्होंने हास्य और व्यंग्य के तेज छीटों का आनन्द लिया । यस कार्यक्रम इसलिए भी रेखांकनीय रहा क्योंकि इसमें शहर के आम लोगों के साथ-साथ विभिन्न वर्गो के विशिष्ट व्यक्तियों की उपस्थिति रही ।

इस कार्यक्रम के साथ सबसे बडी विडम्बना यह घंटित हुइ कि स्थानीय एवं राष्ट्रीय नेपाली संचार माध्यमों के प्रतिनिधियों को औपचारिक सूचना एवं निमंत्रण के बावजूद दोनों ही स्तरों पर इस कार्यक्रम को तरजीह नहीं दिया गया । शायद इसलिए क्योंकि यस हिन्दी का कार्यक्रम था । स्थानीय स्तर पर प्रशासन के आला अधिकारियों को भी निमंत्रित किया गया लेकिन उनकी भी उपस्थिति नगण्य थी और निमंत्रण के बावजूद हिन्दी के नाम पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजक बने भारतीय वाणिज्य महादूतावास वीरगंज से भी किसी का प्रतिनिधित्व नहीं हो पाया था ।

कुल मिलाकर वीरगंज में यस साहित्यिक आयोजन चर्चा का बिषय रहा । हिन्दी के इस मंच पर भोजपुरी और मैथिली की भी रचनाएं पढी गयी । इसके माध्यम से नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद् ने नेपाल में नागरी लिपि प्रयोग करने वाली भाषाओं के बीच सुमधुर सेतु के निर्माण की दिशा में महत्वपुर्ण कार्य किया और नेपाल में हिन्दी के प्रति टूटी-बिखरी संवेदना को संग्रहित करने की दिशा में एक महत्वपुर्ण कदम बढाया । (साभार: हिमालिनी)

2 comments:

Udan Tashtari said...

आभार इस रिपोर्ट के लिए.

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav said...

नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद का एक बहुत ही सराहनीय प्रयास, अभावों के बावजूद सभी कार्यकारी बन्धुओं की हिन्दी निष्ठा देखते ही बनती थी..
मेरा सौभाग्य जो मुझे इस अवसर पर शिरकत करने का मौका मिला :

विस्तृत विवरण यहाँ देखे -

http://merekavimitra.blogspot.com/2008/03/blog-post_6885.html

पुनः शुभकामनाओं सहित
-राघव